Janmashtami 2024 Vrat Paran Time: शुभ मुहूर्त में ही करें जन्माष्टमी व्रत का पारण, जानें उपवास खोलने का सही समय और विधि

Janmashtami 2024 Vrat Paran Time

Krishna Janmashtami 2024 Vrat Paran Time: हर साल की तरह इस साल भी देशभर में जन्माष्टमी का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान विष्णु के आठवें अवतार, श्री कृष्ण, ने धरती पर जन्म लिया था। इस पावन अवसर पर भक्तगण घरों और मंदिरों में विशेष सजावट करते हैं। विशेष रूप से मथुरा और वृंदावन में इस पर्व का महत्व अत्यधिक होता है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रात के 12 बजे हुआ था, इस कारण से भक्तगण इस दिन उपवास रखकर मध्य रात्रि में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करते हैं और व्रत का पारण करते हैं।

हिंदू धर्म में व्रत का पारण अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। व्रत तभी पूर्ण माना जाता है जब उसका पारण विधिपूर्वक किया जाए। यदि पारण के नियमों का सही से पालन न किया जाए, तो व्रत का पूरा फल नहीं प्राप्त होता है। इसलिए, जन्माष्टमी के उपवास के बाद, व्रत का पारण सही समय और विधि से करना चाहिए।

Janmashtami 2024 Vrat Paran Time – जन्माष्टमी व्रत पारण का समय 2024

आप अपनी सुविधा और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इनमें से किसी भी समय व्रत का पारण कर सकते हैं।

  • श्रीकृष्ण के जन्म के बाद रात 12 बजे व्रत का पारण किया जा सकता है। इस समय पर पूजा के बाद भक्त अपना व्रत खोल सकते हैं।
  • 27 अगस्त को दोपहर 03:38 बजे रोहिणी नक्षत्र का समापन होगा। यह व्रत पारण का पहला उपयुक्त समय है।
  • 27 अगस्त को सुबह 05:57 बजे व्रत का दूसरा पारण समय है। इस समय पर भी आप व्रत तोड़ सकते हैं।
  • 27 अगस्त की रात 12:45 बजे व्रत का तीसरा पारण समय है। यह समय उन भक्तों के लिए उपयुक्त है जो रात में ही व्रत तोड़ना चाहते हैं।

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कृष्ण जन्माष्टमी व्रत पारण के तरीके

जन्माष्टमी व्रत का पारण आप तीन अलग-अलग तरीकों से कर सकते हैं:

  • रात में पारण: कुछ भक्त रात में कन्हा की पूजा के बाद ही व्रत का पारण कर लेते हैं। यह उस समय होता है जब भगवान कृष्ण का जन्म होता है, और भक्तगण पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करते हैं।
  • सुबह पारण: कुछ लोग अगले दिन सुबह व्रत का पारण करते हैं। यह उन लोगों के लिए होता है जो रात में पारण नहीं कर पाते और सुबह जल्दी उठकर पूजा और प्रसाद के साथ व्रत तोड़ते हैं।
  • अष्टमी तिथि के समाप्त होने पर पारण: कुछ भक्त अष्टमी तिथि के समाप्त होने के बाद ही व्रत का पारण करते हैं। यह पारंपरिक विधि है जिसमें तिथि के समाप्त होने पर व्रत तोड़ा जाता है।

कृष्ण जन्माष्टमी व्रत पारण की विधि

व्रत पारण के लिए, भगवान श्रीकृष्ण को चढ़ाई गई पंजीरी और माखन से ही व्रत खोलना चाहिए। मान्यता है कि यदि कान्हा के भोग के प्रसाद से व्रत का पारण किया जाए, तो पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है। इस दिन भगवान के प्रसाद को विशेष महत्व दिया जाता है।

कृष्ण जन्माष्टमी व्रत के नियम

  • ब्रह्मचर्य का पालन: व्रत रखने वालों को पूरे दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
  • अन्न का त्याग: इस व्रत में अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए। फलाहार और पानी का सेवन किया जा सकता है।
  • व्रत खोलने का समय: व्रत रात 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के बाद या अगले दिन सूर्योदय के बाद खोलना चाहिए।
  • मंदिर दर्शन: इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के मंदिर में जाकर दर्शन करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • पूजा विधि: सुबह और रात में भगवान श्रीकृष्ण की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए।
  • प्रसाद से व्रत खोलना: व्रत खोलने के लिए केवल भगवान को चढ़ाई गई वस्तुओं को ही प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
  • दिन में सोना वर्जित: व्रत रखने वालों को दिन में सोना नहीं चाहिए, यह व्रत के नियमों के विरुद्ध माना जाता है।
  • अप्रिय वचन से बचाव: व्रत के दिन किसी को अपशब्द नहीं बोलना चाहिए और सभी के साथ प्रेमपूर्वक व्यवहार करना चाहिए।

कृष्ण जन्माष्टमी के दिन व्रत का पारण सही समय और विधि से करना आवश्यक है, ताकि भगवान श्रीकृष्ण की कृपा और व्रत का पूर्ण फल प्राप्त हो सके। व्रत के नियमों का पालन करते हुए, भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में रत रहें और इस पवित्र पर्व का आनंद लें।

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