Krishna Janmashtami Kyon Manae Jaati Hai: कृष्ण जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है, पढ़ें भगवान कृष्ण के जन्म की अद्भुत कहानी

कृष्ण जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है

Krishna Janmashtami Kyon Manae Jaati Hai : हिंदू धर्म को त्योहारों से भरपूर माना जाता है, जिसमें हर पर्व की अपनी विशेषता और महत्व होता है। इनमें से एक महत्वपूर्ण त्योहार है कृष्ण जन्माष्टमी, जिसे भगवान श्रीकृष्ण के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी का इंतजार श्रद्धालुओं को पूरे साल रहता है और इसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

यह त्योहार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन रात 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इस वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी 26 अगस्त 2024, सोमवार को मनाई जाएगी। खास बात यह है कि इस बार द्वापर युग जैसे योग बन रहे हैं, जिसमें पांच ग्रह आकाश में उसी स्थिति में रहेंगे जैसे श्रीकृष्ण के जन्म के समय थे।

Krishna Janmashtami Kyon Manae Jaati Hai – कृष्ण जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है

कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की खुशी में मनाई जाती है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने अपने आठवें अवतार के रूप में श्रीकृष्ण का जन्म लिया था। उनका अवतार धरती को कंस के अत्याचारों से मुक्त कराने के लिए हुआ था। श्रीकृष्ण के जन्म की पौराणिक कथा के अनुसार, मथुरा नगरी में उग्रसेन नामक राजा का शासन था। उसके पुत्र कंस ने अपने पिता को हराकर मथुरा पर कब्जा कर लिया और अत्याचार करने लगा। कंस की बहन देवकी का विवाह वसुदेव से हुआ था। एक भविष्यवाणी ने कंस को चेतावनी दी कि तुम्हारी बहन देवकी की आठवीं संतान उसकी वध की वजह बनेगी। मृत्यु के भय से कंस ने देवकी और वसुदेव को बंदीगृह में डाल दिया।

कारागार में देवकी ने एक-एक कर सात संतानों को जन्म दिया, जिन्हें कंस ने मार दिया। जब देवकी आठवीं बार गर्भवती हुई, तो कंस का भय और भी बढ़ गया। इसी दौरान आधी रात को भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण का जन्म हुआ। भगवान विष्णु ने वसुदेव को दर्शन दिए और उनसे कहा कि वे नवजात को वृंदावन में अपने मित्र नंदबाबा के घर छोड़ आएं। वसुदेव ने बालक कृष्ण को नंदबाबा के घर छोड़ा और वहां से एक नवजात कन्या को कारागार ले आए।

जब महाराजा कंस को उनकी बहन देवकी के आठवें बच्चे के जन्म की खबर मिली, तो वह बंदीगृह पहुंचा। उसने कन्या को मारने की कोशिश की, लेकिन कन्या आकाश में उड़कर बोली, “मुझे मारने से तेरा कुछ नहीं होगा। तेरा काल वृंदावन में आ चुका है और जल्दी ही तेरा अंत करेगा।” कंस ने वृंदावन में जन्मे कृष्ण को मारने के कई प्रयास किए, लेकिन वह सफल नहीं हो सका। अंत में, युवावस्था में श्रीकृष्ण ने कंस का वध कर दिया।

कृष्ण जन्माष्टमी व्रत 2024

कृष्ण जन्माष्टमी पर व्रत रखने का विशेष महत्व है। इस दिन व्रत रखने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है। स्कंद पुराण में बताया गया है कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत नहीं रखते, वे अगले जन्म में सांप के रूप में जन्म लेते हैं। जबकि, जो लोग विधिपूर्वक और पूरी आस्था के साथ इस दिन व्रत रखते हैं, उनके जीवन में लक्ष्मी स्थिर रहती है और उनके बिगड़े काम भी बन जाते हैं। व्रत के दौरान भक्त उपवास रखते हैं और रात भर जागरण करते हुए श्रीकृष्ण की लीलाओं का आनंद लेते हैं।

कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी खास है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं को याद कर उनके आदर्शों को जीवन में उतारने का प्रयास किया जाता है। भक्तगण मथुरा और वृंदावन जैसे स्थलों पर जाकर इस पवित्र पर्व को मनाते हैं और अपने जीवन को धर्ममय बनाते हैं।

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